Mid Day Meal

अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने मुझे शिक्षा व्यवस्था के संबंध में प्रस्तुत इस बजट पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया। आपके माध्यम से मैं इस सदन का ध्यान भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही 'मिड-डे मील' योजना की तरफ आकर्षित करना चाहता हूँ। यह तो सबको पता ही है कि इस योजना के अंतर्गत शासकीय स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन दिया जाता है। 'मिड-डे मील' योजना क्रियान्वयन के लिए स्कूल प्रशासन अपनी-अपनी सुविधानुसार रसोइयों को भोजन पकाने का कार्य सौंप देता है। कई स्कूलों में रसोइये का काम दलित वर्ग के लोग रहे हैं, जिनका सवर्ण वर्ग एवं उनके बच्चों द्वारा विरोध किया जा रहा है। इसी विरोध की ओर मैं आपके माध्यम से सरकार का एवं सदन के अन्य सदस्यों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।

उत्तर प्रदेश सरकार ने मानक तय कर 'मिड-डे मील' योजना के अंतर्गत भोजन पकाने के लिए रसोइयों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान किया और उस प्रावधान के तहत अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के कामगारों की नियुक्ति भी हुई। लेकिन जब इन रसोइयों ने खाना पकाया तो सवर्ण वर्ग के लोगों और उनके बच्चों ने इसका विरोध किया। इतना ही नहीं सवर्ण वर्ग ने अपने बच्चों को इन स्कूल में भेजना भी बन्द कर दिया। उत्तर प्रदेश के कई जनपदों के स्कूलों में इस प्रकार की घटनाएँ प्रकाश में आई हैं। 

इस सब के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने इस विरोध का समाधान खोजने के बजाय या यूँ कहें कि इस अपराधयुक्त मानसिकता को सही मानकर एक नया आदेश जारी कर पूर्व में बनाए अपने प्रावधान को ही समाप्त कर दिया।

मैं कहना चाहता हूँ कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम किसी भी रूप में सही नहीं है क्योंकि इससे छुआछूत की भावना प्रबल होगी और दलित संवर्ग से घृणा करने वालों के हौसले और भी बुलंद होंगे। 

शिक्षा मंदिरों में इस प्रकार से भेदभाव और घृणा भाव का जीवंत प्रमाण प्रस्तुत कर आखिर हम नयी पीढ़ी को क्या सिखाना चाहते हैं? क्या आपको लगता है कि बच्चों को दी जा रही इस प्रकार की शिक्षा से उनका नैतिक पतन नहीं होगा? क्या नयी पीढ़ी को जाति, धर्म और द्वेष के संस्कार देकर हम अपने देश और समाज को आगे बढ़ा सकते हैं? अगर ऐसे ही धर्म और जाति का बँटवारा चलता रहा तो हमारा देश को विश्वगुरू बनाने का, भारत देश को विश्व शक्ति बनाने का स्वप्न मात्र एक स्वप्न ही रह जाएगा। (410 शब्द)
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