'कोर्ट से समन आया है' सुनकर अक्सर लोग परेशान हो जाते हैं और उन्हें ऐसा लगता है कि पता नहीं क्या मुसीबत आ गई है। कई बार तो लोग समन को लेने से भी इंकार कर देते हैं।
समन क्या है ?
समन एक प्रकार का बुलावा होता है जो न्यायिक प्रक्रिया में आपके बयान या पक्ष रखने के लिए जारी किया जाता है। समन तभी जारी किया जाता है जब आपका उस न्यायिक प्रकरण से वास्ता हो या आपको उसमें सम्मिलित करने की अर्जी दी गई हो।
सरल भाषा में कहें तो समन एक प्रकार का न्यायिक बुलावा पत्र होता है जिसमें आपको कोर्ट द्वारा निर्देशित तिथि एवं स्थल पर उपस्थित होना होता है। यदि किसी को समन जारी किया गया है तो इसका अर्थ यह नहीं होता है कि वह अपराधी है या उसको किसी प्रकरण में आरोपी बनाया जा रहा है। भारतीय न्याय व्यवस्था अभिलेखीय होने से इसमें प्रत्येक प्रक्रिया लिखित रिकॉर्ड रखा जाता है। इसी क्रम में पक्ष एवं विपक्ष के सभी साक्षियों को आहुत करने के लिए जो सूचना पत्र जारी किया जाता है, उसे समन कहा जाता है।
समन की प्राप्ति
किसी व्यक्ति को समन जारी होने पर उस व्यक्ति को विधिवत् समन प्राप्त कर लेना चाहिए और कोर्ट के निर्देशित समय व स्थल पर उपस्थित होकर कोर्ट के निर्देश का सम्मान करना चाहिए। समन प्राप्त करते समय हस्ताक्षर के साथ दिनॉंक अवश्य अंकित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपको समन समय पर प्राप्त हुआ अथवा नहीं।
क्यों जारी होता है समन
जैसा कि पहले बताया जा चुका है। समन केवल उन्हीं को जारी किया जाता है जो किसी न्यायिक प्रकरण से वास्ता रखते हों। या तो वह न्यायालयीन प्रकरण में शासन पक्ष से साक्षी हो सकते हैं अथवा अभियुक्त या अभियुक्त पक्ष के साक्षी। न्यायिक प्रक्रिया को विधिवत् रूप से संपन्न करने के लिए लिखित रूप से साक्षीगण को सूचित किया जाता है, इसी सूचना को समन कहते हैं।
यदि आप किसी प्रकरण से संबंधित भी नहीं हैं फिर भी आपको समन आता है तो हो सकता है कि आपको किसी ने उस प्रकरण में अपनी ओर से साक्षी के तौर पर प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट के समक्ष अर्जी दी हो और कोर्ट ने अर्जी स्वीकार कर आपको साक्षी के तौर पर आहुत करने के लिए समन जारी किया हो।
समन प्राप्त होने पर उपस्थिति जरूरी
यदि आपने समन प्राप्त कर लिया है तो आपको कोर्ट के निर्देशित समय व स्थल पर उपस्थित होना जरूरी होगा। यदि आप ऐसा करने में असमर्थ रहते हैं तो यह मानकर कि आपने कोर्ट की अवज्ञा की है, आपके विरूद्ध वारंट जारी किया जाएगा। प्रथम बार अवज्ञा होने की स्थिति में जमानती वारंट जारी किया जाता है।
यदि स्वास्थ्य या अन्य किसी महत्वपूर्ण कारण से आप निर्दिष्ट स्थल पर उपस्थित नहीं हो पाएंगे तो आपको पूर्व में ही कोर्ट को उचित माध्यम से सूचित कर देना चाहिए और उक्त पेशी से छूट दिए जाने का अनुरोध करना चाहिए।
उपस्थिति का खर्च वहन
यदि समन किसी शासकीय सेवक को जारी किया जाता है तो उसको कोर्ट पेशी के लिए कार्यालय प्रमुख से भी अनुमति दी जाती है और उसके आने—जाने का खर्च भी वहन किया जाता है। इतना ही नहीं, शासकीय सेवक का वह दिवस कार्य दिवस में ही माना जाता है क्योंकि उक्त दिवस को भी वह शासकीय तौर पर कार्यरत् रहा होता है।
समन एक प्रकार का बुलावा होता है जो न्यायिक प्रक्रिया में आपके बयान या पक्ष रखने के लिए जारी किया जाता है। समन तभी जारी किया जाता है जब आपका उस न्यायिक प्रकरण से वास्ता हो या आपको उसमें सम्मिलित करने की अर्जी दी गई हो।
सरल भाषा में कहें तो समन एक प्रकार का न्यायिक बुलावा पत्र होता है जिसमें आपको कोर्ट द्वारा निर्देशित तिथि एवं स्थल पर उपस्थित होना होता है। यदि किसी को समन जारी किया गया है तो इसका अर्थ यह नहीं होता है कि वह अपराधी है या उसको किसी प्रकरण में आरोपी बनाया जा रहा है। भारतीय न्याय व्यवस्था अभिलेखीय होने से इसमें प्रत्येक प्रक्रिया लिखित रिकॉर्ड रखा जाता है। इसी क्रम में पक्ष एवं विपक्ष के सभी साक्षियों को आहुत करने के लिए जो सूचना पत्र जारी किया जाता है, उसे समन कहा जाता है।
समन की प्राप्ति
किसी व्यक्ति को समन जारी होने पर उस व्यक्ति को विधिवत् समन प्राप्त कर लेना चाहिए और कोर्ट के निर्देशित समय व स्थल पर उपस्थित होकर कोर्ट के निर्देश का सम्मान करना चाहिए। समन प्राप्त करते समय हस्ताक्षर के साथ दिनॉंक अवश्य अंकित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपको समन समय पर प्राप्त हुआ अथवा नहीं।
क्यों जारी होता है समन
जैसा कि पहले बताया जा चुका है। समन केवल उन्हीं को जारी किया जाता है जो किसी न्यायिक प्रकरण से वास्ता रखते हों। या तो वह न्यायालयीन प्रकरण में शासन पक्ष से साक्षी हो सकते हैं अथवा अभियुक्त या अभियुक्त पक्ष के साक्षी। न्यायिक प्रक्रिया को विधिवत् रूप से संपन्न करने के लिए लिखित रूप से साक्षीगण को सूचित किया जाता है, इसी सूचना को समन कहते हैं।
यदि आप किसी प्रकरण से संबंधित भी नहीं हैं फिर भी आपको समन आता है तो हो सकता है कि आपको किसी ने उस प्रकरण में अपनी ओर से साक्षी के तौर पर प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट के समक्ष अर्जी दी हो और कोर्ट ने अर्जी स्वीकार कर आपको साक्षी के तौर पर आहुत करने के लिए समन जारी किया हो।
समन प्राप्त होने पर उपस्थिति जरूरी
यदि आपने समन प्राप्त कर लिया है तो आपको कोर्ट के निर्देशित समय व स्थल पर उपस्थित होना जरूरी होगा। यदि आप ऐसा करने में असमर्थ रहते हैं तो यह मानकर कि आपने कोर्ट की अवज्ञा की है, आपके विरूद्ध वारंट जारी किया जाएगा। प्रथम बार अवज्ञा होने की स्थिति में जमानती वारंट जारी किया जाता है।
यदि स्वास्थ्य या अन्य किसी महत्वपूर्ण कारण से आप निर्दिष्ट स्थल पर उपस्थित नहीं हो पाएंगे तो आपको पूर्व में ही कोर्ट को उचित माध्यम से सूचित कर देना चाहिए और उक्त पेशी से छूट दिए जाने का अनुरोध करना चाहिए।
उपस्थिति का खर्च वहन
यदि समन किसी शासकीय सेवक को जारी किया जाता है तो उसको कोर्ट पेशी के लिए कार्यालय प्रमुख से भी अनुमति दी जाती है और उसके आने—जाने का खर्च भी वहन किया जाता है। इतना ही नहीं, शासकीय सेवक का वह दिवस कार्य दिवस में ही माना जाता है क्योंकि उक्त दिवस को भी वह शासकीय तौर पर कार्यरत् रहा होता है।

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